[Best] Hindi Short Stories For Class 1 with Pictures

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Hello Friends, today in this blog, I am presenting Hindi short stories for class 1, which will be valuable for kids and help them learn moral values at their initial stage of life. I have presented them with an interesting storyline to keep them interested in reading throughout this blog.

These short story in hindi are designed especially for the students of class 1 and written in simple words and easy to understand for kids. Reading such Hindi short stories is fun, but it also provides moral & valuable lessons for kids. Even with kids, parents also find it interesting to read such short stories in Hindi or by narrating them to their kids.

Best Short Hindi Moral Stories for Class 1

Friends, I have also written a similar blog about 10-line short stories with morals, So do check it after reading kid story hindi class 1 category story.

किसान और उसके 4 बेटे की कहानी

एक बूढे किसान के 4 बेटे थे, चारों भाई आपस में हमेशा लड़ते झगड़ते रहते थे, उनमें बिलकुल भी एकता नहीं थी। इन चारों को देख किसान काफी चिंतित रहता था। इसीलिए एक बार उसने अपने सभी बेटों को अपने पास बुलाया।

अब बारी बारी से उन सभी को लकड़ियों का एक बंडल दिया और तोड़कर दिखाने को कहा। हर बेटे ने पूरी कोशिश की लेकिन कोई भी उस बंडल को नहीं तोड़ पाया। अब किसान ने बंडल खोलकर हर बेटे को एक एक लकड़ी थमा दी और कहा की अब इसे तोड़कर दिखाओ।

चारों बेटों ने आराम से अपनी अपनी लकड़ी को तोड़ दिया, तभी किसान ने गंभीरता से उन्हें सीख दी कि लकड़ियों के इस गट्ठर की तरह अगर तुम हमेशा साथ (एकजुट) रहोगे तो कोई तुम्हे नुक्सान नहीं पहुंचा पाएगा।

लेकिन अगर तुम आपस में झगड़ते रहोगे और एक दुसरे से अलग हो जाओगे तो कोई भी तुम्हे आसानी से नुक्सान पहुंचा सकता है। चारों बेटों को किसान की ये बात समझ आ गयी और वो उस दिन के बाद कभी नहीं झगडे।

सीख: इस कहानी से हमें ये सीख मिलती है कि एकता में ही बल होता है।

बनिये और साहूकार की कहानी

बनिये ने साहूकार को मजा चखाया

सीतापुर गाँव में मोहन नाम का एक बनिया रहता था। जिसने पैसा कमाने के लिए विदेश जाने का फैसला किया। जाने से पहले उसने अपनी लोहे की तराजू एक साहूकार के पास गिरवी रखी और बदले में कुछ पैसे लिए। दो साल बाद जब वो वापस लौटा तो उसने पैसे लौटाकर साहूकार से अपना तराजू वापस माँगा।

साहूकार – अरे वो तराजू तो चूहे खा गए।
मोहन – “कोई बात नहीं, इसमें तुम्हारी कोई गलती नहीं है।”
आगे वो बोला “में नदी में नहाने जा रहा हूँ, तुम अपने बेटे राजू को भी मेरे साथ भेज दो, ताकि वो भी नहा लेगा। साहूकार भी मान गया।”

मगर कुछ दूर जाकर मोहन ने राजू को एक गुफा में बंद कर दिया और दरवाजे पर एक बड़ा पत्थर रख दिया, ताकि वो भाग ना पाए। फिर वो साहूकार के पास आकर बोला कि “माफ करना दोस्त तुम्हारे बेटे को चील उठाकर ले गई है।”

साहूकार ने हैरानी से कहा कि इतने बड़े बच्चे को चील कैसे उठा ले जा सकती है? जो सुन मोहन बोला “जैसे चूहे लोहे के तराजू को खा सकते हैं, वैसे ही चील भी बच्चे को उठाकर ले जा सकती है। अगर बच्चा चाहिए, तो तराजू लौटा दो।”

अब साहूकार की अक्ल ठिकाने आई और उसने मोहन के तराजू को वापस करके अपने बेटे को आजाद करवाया।

सीख: कई बार जो जैसा व्यवहार करता है उसके साथ वैसा ही व्यवहार करना पड़ता है।

गाय और शेर की कहानी

एक बार की बात है, रामगढ़ गाँव की गाय लक्ष्मी घांस खाने के लिए पास वाली पहाड़ी पर जाती है। लेकिन अनजाने में वो शेर की गुफा के पास पहुँच जाती है। जहाँ विश्राम कर रहा शेर 2 दिनों से भूखा था।

गाय की खुशबू से शेर की नींद खुल गयी और तेज दहाड़ लगाते हुए वो अपनी गुफा से बाहर आया। उसने लक्ष्मी से कहा – आज में तुम्हे खाकर अपनी भूख मिटा लूँगा। जो सुन लक्ष्मी डर के मारे रोते हुए बोली – मेरा छोटा बछड़ा है, जिसे घास खाना तक नहीं आता। कृपा करके आज मुझे जाने दो और बछड़े को दूध पिलाकर में कल वापस आ जाउंगी, फिर तुम मुझे खा जाना।

शेर भी लक्ष्मी की बात मानते हुए कहता है कि अगर कल तू नहीं आई, तो में गाँव आकर तेरे बच्चे को भी खा जाऊँगा। लक्ष्मी खुश होकर दौड़ते हुए गाँव जाती है और बच्चे को दूध पिलाकर कहती है “तुम खुद अपना ख्याल रखना” जो सुन बच्चा काफी रोता है, लेकिन दूसरी सुबह लक्ष्मी शेर के पास पहुँच जाती है।

तभी शेर गुफा से बाहर निकलकर भगवान के रूप में प्रकट होता है, जो लक्ष्मी से कहते है। “में तो बस तुम्हारी परीक्षा ले रहा था, तुमने अपना वचन निभाया, जिससे में बहुत प्रसन्न हुआ। इसीलिए अब तुम अपने बच्चे के पास जा सकती हो।”

साथ ही भगवान लक्ष्मी को गौमाता होने का वरदान भी देते है, तबसे ही सभी गायों को गौमाता कहा जाता है।

सीख: हमें अपना दिया हुआ वचन जरूर निभाना चाहिए।

एक प्यासा कौआ की कहानी

कई सालों पहले गर्मियों की तेज धुप में एक प्यासा कौआ पानी की खोज में इधर उधर भटक रहा था, मगर उसे कहीं भी पानी नहीं मिला। अब तो उसमें उड़ने की भी ताकत नहीं बची थी और उसे लगा की अब मेरी मौत करीब है। मगर तभी उसकी नजर एक घड़े पर पड़ी और उम्मीद जाग उठी।

लेकिन घड़े के पास पहुँचते ही उसने देखा की घड़े में पानी तो है, लेकिन इतना कम है की उसकी चोंच पानी तक नहीं पहुँच पा रही। उसने पानी पीने की काफी कोशिशें की, लेकिन असफल रहा।

जिससे दुखी होकर वो हार मानने ही वाला था की तभी उसकी नजर आसपास पड़े कंकडों पर गयी और उसने सोचा की अगर में एक एक करके सभी कंकडों को घड़े में डाल दूँ तो पानी ऊपर आ जाएगा और में उसे आसानी से पी पाउँगा।

जिसके बाद उसने धीरे धीरे करके कंकड़ उठाकर पानी में डालना शुरू किया, और कुछ देर बाद उसकी मेहनत रंग लाई। क्योंकि कंकडों के नीचे जाने से पानी ऊपर आ चूका था। फिर उसने वो पानी पीकर अपनी प्यास बुजाई और जान बचाई।

सीख: ये कहानी हमें ये सिखाती है की मुश्किल हालातों में भी हमें हिम्मत नहीं हारनी चाहिए और मेहनत जारी रखनी चाहिए, सफलता जरूर मिलेगी।

बंदर और खरगोश की कहानी

एक बार एक जंगल में शिकारी शिकार करने आया, जिसे देख सभी जानवर इधर उधर भागने लगे। उन में से एक थी बंदर और खरगोश की जोड़ी, जो बचपन से एक दुसरे के काफी अच्छे दोस्त थे।

ये दोनों भागते हुए जंगल से काफी दूर निकल आये। तभी बंदर बोला – “दोस्त चलो, थोड़ा आराम कर लेते है, में काफी थक गया हूँ और मुझे प्यास भी लगी है।
खरगोश – “हाँ, मुझे भी बहुत प्यास लगी है, चलो थोड़ा पानी पीते हैं, फिर आराम करेंगे।”

अब दोनों साथ में पानी ढूँढने निकले, कुछ देर में उन्हें एक घड़ा मिला, लेकिन उसमें काफी कम पानी था। जो देख दोनों ने सोचा की अगर में पानी पी लूँगा तो मेरा मित्र प्यासा ही रहे जाएगा। इसीलिए दोनों एक दुसरे से कहने लगे कि “तुम पानी पि लो, मुझे ज्यादा प्यास नहीं लगी है।”

पास से गुजर रहा हाथी इन दोनों की बात सुनकर हँसते हुए बोला कि “अरे दोस्त, एक दुसरे को कहने के बजाय तुम दोनों ये पानी आधा आधा क्यों नहीं पी लेते?”
हाथी का ये सुझाव बंदर और खरगोश दोनों को अच्छा लगा और उन्होंने आधा आधा पानी पी लिया, फिर विश्राम करने लगे।

सीख: ये कहानी हमें सिखाती है की सच्चे दोस्त हमेशा एक दुसरे का ख्याल रखते है।

Best Hindi Short Stories for Class 1

Friends, do you know that stories with text and images make them more engaging for readers? That’s the reason behind we have the best collection of Hindi moral stories for kids.

Not only these short moral stories in hindi for class 1 are engaging, but I have presented these short story for class 1 in hindi in a very easy, relatable tone, which makes them easy to understand.

चतुर खरगोश और शेर की कहानी

एक जंगल में एक खूंखार शेर रहता था, जो रोज एक नहीं कई जानवरों को मार देता था और मजे से खाता था। जिससे परेशान होकर सभी जानवर एक बार शेर की गुफा में गए और बोले कि महाराज आपकी प्रजा की संख्या कम होती जा रही है। इसीलिए आप शिकार पर मत जाइए, बल्कि हम रोज एक जानवर आपकी गुफा में भेज देंगे।

शेर को जानवरों की सलाह ठीक लगी, मगर उसने धमकी देते हुए कहा की अगर समय पर मेरा भोजन नहीं पहुंचा तो में सबको मार दूंगा। फिर एक दिन एक चतुर खरगोश की बारी आई और अपनी जान बचाने के लिए उसने एक तरकीब सोची।
वो जानबुजकर शेर के पास देर से पहुंचा, जो देख शेर बोला कि “कहां मर गए थे और तुमसे मेरा पेट कैसे भरेगा?”
खरगोश – महाराज, में आपके पास अकेले नहीं आ रहा था, बल्कि मेरे पांच साथी और भी थे, मगर रास्ते में दूसरा शेर उन सभी को खा गया।

शेर – दूसरा शेर? वो मेरे जंगल में क्या कर रहा है? मुझे उसके पास ले चलो।
खरगोश शेर को एक कुएं के पास ले गया। और बोला “महाराज, वो इस गड्ढे के नीचे गुफा में रहता है। आपको आता देख शायद वह अंदर घुस गया।”

शेर को भी कुए के पानी में अपनी परछाई दिखाई दी, वो उसे दूसरा शेर समझकर लड़ने के लिए कुए में कूद गया और डूबकर मर गया। जिससे जंगल के सभी जानवर खुश हो गए।

सीख: बुद्धि ही बल है।

इमानदार लकड़हारा की कहानी

The Honest Woodcutter

एक गाँव में एक गरीब लकड़हारा रहता था। जो हर दिन कुछ लकड़ियाँ काटकर बाजार में बेचता था और दो वक्त की रोटी खाता था। एक दिन वो नदी किनारे लकड़ी काट रहा था, तभी उसके हाथ से कुल्हाड़ी फिसलकर नदी में गिर गयी। जो देख वो जोर जोर से रोने लगा, क्योंकि उसके पास सिर्फ यही एक कुल्हाड़ी थी।

इस लकड़हारे को रोता देख जलदेवता प्रकट हुए और उन्होंने इसे एक सोने की कुल्हाड़ी दिखाते हुए पूछा की क्या ये कुल्हाड़ी तुम्हारी है? लकड़हारा बोला “नहीं ये मेरी कुल्हाड़ी नहीं है।” फिर जल देवता एक चांदी की कुल्हाड़ी ले आये, मगर उसने कहा कि “नहीं, ये कुल्हाड़ी भी मेरी नहीं है।” आखिर में वो नदी से उसकी असली कुल्हाड़ी लेकर आये। जो देख उसने तुरंत कहा कि “हाँ यही मेरी कुल्हाड़ी है।” लकड़हारे की इमानदारी देख जलदेवता प्रसन्न हो गए, और उन्होंने सोने और चांदी की कुल्हाड़ी भी उपहार में दे दी। जो देख लकड़हारा ख़ुशी से झूम उठा।

सीख: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि “हमें हमेशा ईमानदारी से जीवन जीना चाहिए, और एक ना एक दिन हमें इस ईमानदारी का फल जरुर मिलेगा।

चतुर सियार की कहानी

किसी जंगल में एक शेर रहता था, जो कई दिनों से शिकार के लिए भटक रहा था, मगर उसे कोई जानवर नहीं मिला। थक हारकर वो एक गुफा में जाकर बैठ गया और उसने सोचा की रात के समय कोई ना कोई जानवर इसमें जरुर आएगा। में उसे मारकर खा जाऊंगा।

इस गुफा का मालिक एक सियार था, जो रात में जब गुफा के पास पहुंचा तो उसने गुफा के अन्दर जाते हुए शेर के पैरों के निशान देखे, लेकिन बाहर निकलने के कोई निशान नहीं थे। जिससे वो समझ गया की मेरी गुफा में कोई शेर जरुर छिपकर बैठा है।
तभी उसने अपनी चतुराई दिखाते हुए आवाज लगाई की “ओ मेरी गुफा, आज तुम चुप क्यों हो? हमेशा की तरह मुझे बुला क्यों नहीं रही?”

ये सुन शेर ने सोचा की शायद ये गुफा वाकई में सियार को बुलाती हो, लेकिन आज मेरे डर से चुप है। तो में ही आवाज लगाकर उसे अन्दर बुला लेता हूँ।

शेर बोला – “आ जाओ दोस्त, अंदर आ जाओ।”
शेर की आवाज सुनते ही सियार समझ गया की अन्दर शेर बैठा है और वो तुरंत वहां से भाग निकला। जिससे उसकी जान बच गयी।

सीख: कई बार चतुराई के सामने ताकत भी हार जाती है।

भूखी चिड़िया और भूरी राख की कहानी

एक समय की बात है, एक घंटाघर में टिंकू नाम की चिड़िया अपने माता-पिता और 5 भाइयों के साथ रहती थी। इस घंटाघर के पास ही एक छोटी सी झोपड़ी थी, जिसमें पक्षियों से प्यार करनेवाली एक बुजुर्ग औरत रहती थी, जो टिंकू और उसके परिवार को रोज रोटी का टुकड़ा देती थी, जिससे वो अपना पेट भरते थे।

मगर एक दिन बीमारी से उस बुजुर्ग महिला की मौत हो गयी। टिंकू का पूरा परिवार उस औरत के खाने पर निर्भर था, इसीलिए भूख से उनका हाल बेहाल होने लगा। तभी टिंकू के पिता ने कीड़ों का शिकार करने का फैसला लिया और काफी तलाश के बाद वो परिवार के लिए कीड़े ढूंढ लाये।

इधर टिंकू, उसके भाई और माँ खाने की तलाश में एक घर में घुसे थे, जहां उन्हें खाने को तो नहीं मिला, लेकिन घर के मालिक ने उनपर राख जरुर फेंक दी और ये तीनों भूरे रंग के हो गए।

फिर ये लोग घंटाघर वापस आये तो टिंकू के पिता इन्हें पहचान नहीं पाए और गुस्से में उन्होंने सबको भगा दिया। जिससे टिंकू के मां और भाई निराश हो गए, मगर टिंकू ने हार नहीं मानी।

वह उन्हें तालाब के पास ले गई और नहलाकर सबकी राख हटा दी, जिससे ये तीनों अपने पुराने रूप में वापस आये और टिंकू के पिता ने भी उन्हें पहचान लिया और माफ़ी मांगी।

सीख: कभी किसी पर निर्भर नहीं रहना चाहिए और हार नहीं माननी चाहिए।

दो मुंह वाला पक्षी की कहानी

एक बार की बात है, एक तालाब में भारंड नाम का एक अजीब पक्षी रहता था। जिसके दो मुख यानी मुंह थे, मगर पेट एक ही था। एक दिन समुद्र किनारे घूमते हुए उसे एक मीठा माथुर फल मिला, ये फल समुद्र की लहरों ने किनारे पर फेंक दिया था।

जिसे उठाकर खानेवाला एक मुख बोला कि “वाह कितना स्वादिष्ट फल है, मैंने आज तक ऐसा फल कभी नहीं खाया।”
दूसरा मुख – “अगर इतना स्वादिष्ट है तो मुझे भी थोड़ा सा चखने को देदे।”

पहला मुंह – “तू खाकर क्या करेगा? हमारे चेहरे दो लेकिन पेट तो एक ही है, ये फल उसी में गया है और तृप्ति मिल ही गयी है।” ये कहकर वो पूरा फल खा गया।

मगर दूसरा मुख इस बेइज्जती का बदला लेने के लिए कोई उपाय सोचने लगा। आखिर में, एक दिन उसने कहीं से विषफल उठा लिया, और पहले मुख को दिखाते हुए बोला कि “देख, ये एक जहरीला फल है, जो मुझे मिला है और में इसे खाऊंगा।”

पहला मुंह – “मूर्ख, ऐसा मत कर, इससे हम दोनों मारे जाएंगे।”
लेकिन दुसरे ने पहले की बात टालते हुए वो फल खा लिया और परिणामस्वरुप दो मुंह वाला पक्षी मारा गया।

सीख: हमेशा अकेले की नहीं सोचनी चाहिए, बल्कि दूसरों का भी भला करना चाहिए, वर्ना हम संकट में पड़ सकते है।

Final Words for Readers

So finally, you came reading here 😀 I hope, friends, our blog about Hindi Short Stories for class 1 added some value to your life. But here is not only the end; we will keep adding stories and updating this blog with more short stories in Hindi. So keep visiting our blog 🙂

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